सीखते रहो

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ज़कात

ज़कात इस्लाम के अर्कान में से तीसरा रुक्न है, जिसे अल्लाह तआला ने इस लिए फ़र्ज़ फ़रमाया है ताकि देने और लेने वाले (दाता तथा ग्रहिता) दोनों को पाक साफ़ कर दे। यह अगरचे बज़ाहिर (देखने में) धन की मात्रा में कमी नज़र आती है, लेकिन (हक़ीक़त में) उस के आसार तथा प्रभावों में से धन में वृद्धि और बरकत है। माल की मात्रा में भी वृद्धि है और दाता के दिल में ईमान की ज़्यादती है।

पाठ समूह

ज़कातः उस की हक़ीक़त तथा उस के मक़ासिद और उद्देश