ईमान
तमाम अम्बिया अलैहिमुस्सलाम का अपनी अपनी क़ौमों के नाम एक ही (मूख्य) पैग़ाम रहा, और वह यह कि वह उस अकेले अल्लाह की इबादत करें जिस का कोई शरीक व साझी नहीं, और उस के अतिरिक्त जिन की पूजा की जाती है उन के साथ कुफ्र करें। और यही है कलिमा तौहीद (ला इलाह इल्लल्लाह) के अर्थ की हक़ीक़त और वास्तविकता, तथा यही वह कलिमा है जिस के ज़रीया व्यक्ति अल्लाह के दीन में दाखिल होता है।