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शहादतैन (दो गवाही)

इस्लाम ने कलिमा तौहीद ला इलाह इल्लल्लाह को सब से ऊँचे मक़ाम और महान मर्यादा व रुत्बे से नवाज़ा है। पस यह मुस्लिम का सब से पहला फर्ज (कर्तव्य) है, अतः जो शख्स इस्लाम  में प्रवेश करना चाहे उस पर जरूरी है कि वह इस का एतिकाद (आस्था) रखते हुए इसे अपनी जुबान से उच्चारण (तलफ्फुज) करे। और जो व्यक्ति ईमान व यकीन के साथ इसे पढ़ेगा तो यह उस के लिए जहन्नम से नजात का ज़रीया होगा। जैसा कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः “बेशक अल्लाह ने जहन्नम की आग पर उस व्यक्ति को हराम कर दिया जिस ने अल्लाह की रिज़ा के लिए कहाः ला इलाह इल्लल्लाह।” {बुख़ारीः 415}

पाठ समूह

गवाही देना कि अल्लाह के अलावा कोई सत्य माबूद नहीं
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संबंध में जानकारी
मुहम्मदर् रसूलुल्लाह की शहादत का अर्थ