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पाठ ख़रीद व फ़रोख़्त (क्रय विक्रय)
ख़रीद व फ़रोख़्त की तारीफ़ (का अर्थ)
ख़रीद व फ़रोख़्त का शाब्दिक अर्थ: किसी चीज़ के बदले किसी चीज़ का आदान-प्रदान करना। और पारिभाषिक अर्थ: मालिक बनने तथा मालिक बनाने की ग़र्ज़ से धन के बदले धन का आदान-प्रदान।
ख़रीद व फ़रोख़्त का हुक्म
क़ुरआन व हदीस और इजमा की रोशनी में ख़रीद व फ़रोख़्त एक जायज़ अक़्द है। अल्लाह तआला ने फ़रमायाः {وَأَحَلَّ اللَّهُ الْبَيْعَ} [البقرة: 275]. “और अल्लाह ने ख़रीद व फ़रोख़्त को हलाल फ़रमाया।” {अल-बक़राः 275}
ख़रीद व फ़रोख़्त को जायज़ करने की हिक्मत
1- इंसान ऐसी चीज़ों की ज़रूरत महसूस करता है जिन का मालिक उस के अलावा कोई दूसरा होता है, जैसे भोजन, पेय, वस्त्र, आवास इत्यादि। और इन चीजों का मालिक उन्हें मुआवजे के बिना हरगिज़ नहीं देगा, और ख़रीद व फ़रोख़्त वह रास्ता है जिस के ज़रीया हर कोई अपनी मुराद को पहुँच जाता है; अर्थात विक्रेता को कीमत और खरीदार को सामान मिल जाता है।
2- लोगों के जीवन को सर्वोत्तम संभव तरीके से बनाए रखना; क्योंकि कोई भी व्यक्ति मुमकिन है कि खरीदारी के अलावा अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम न हो।
3- चोरी, हड़पना, धोखाधड़ी और समाज को बिगाड़ने वाली अन्य चीजों को रोकना; क्योंकि खरीदारी से व्यक्ति अपनी जरूरतें पूरी कर सकता है।