सीखते रहो

आप ने लॉगिन नहीं किया
अपनी तरक़्क़ी को जारी रखने और प्वाइंट्स जमा करने तथा प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए अभी रजिस्ट्रेशन करें। रजिस्ट्रेशन के बाद जो विषय आप पढ़ेंगे उन पर आप एक इलेक्ट्रॉनिक सर्टीफिकेट प्राप्त करेंगे।

वर्तमान खंड: :मॉडल

पाठ तहारत से मुतअल्लिक़ ख़ास हालतें (पवित्रता संबंधी विशेष स्तिथियाँ)

इस्लाम ने भारार्पितों (मुकल्लफ़ों) से मशक़्क़त व परीशानी को कम करने तथा आसानी पैदा करने के लिए चमड़े के मोज़ों पर, जुर्राबों पर तथा पट्टी पर मसह का कानून बनाया है। और मख़सूस हालतों में तयम्मुम को मशरूअ् (शरीअत सम्मत) किया है। इस चैप्टर (अध्याय) में आप चमड़े के मोज़ों, जुर्राबों और स्प्लिंट (पट्टी) पर मसह करने के अहकाम व मसायल तथा तयम्मुम और उस के तरीक़ा के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

∙ चमड़े के मोज़ों और जुर्राबों पर मसह करने की स्तिथियों की जानकारी।∙ स्प्लिंट (पट्टी) पर मसह करने के मसायल की जानकारी।∙ तयम्मुम और उस  के तरीक़ा की जानकारी। 

:एक और छात्र गिनें जिस ने इस पाठ को पूरा किया है

चमड़े के मोज़ों और जुर्राबों पर मसह

इस्लाम की सहिष्णुता (अज़मत व समाहत) है कि एक मुस्लिम वुज़ू करते समय अपना पैर धोने की बजाय अपने गीले हाथों से जुर्राबों के ऊपरांश पर या पूरे पैर को ढकने वाले जूतों के ऊपरी भाग पर चंद शर्तों के साथ मसह कर सकता है।

मोज़ों पर मसह करना कब मशरू (विधिसम्मत) है?

वुज़ू करते समय चमड़े के मोज़ों और जुर्राबों पर मसह करना उस वक़्त मशरू (विधिसम्मत) है जब मुस्लिम उन्हें बड़ी और छोटी दोनों हदस से पाक हो कर पहना हो।

चमड़े के मोज़ों और जुर्राबों पर मसह करने की मुद्दत (अवधि)

मुक़ीम (अवस्थानरत व्यक्ति) के लिए एक दिन और एक रात (24 घंटे)
मुसाफ़िर के लिए तीन दिन और तीन रात (72 घंटे)

मोज़ों पर मसह करना सिर्फ़ वुज़ू में सही-शुद्ध है। रही बात जनाबत के ग़ुस्ल की तो उस में हर हाल में पैरों को धोना ज़रूरी है।

चमड़े के मोज़ों और जुर्राबों पर मसह के वक़्त की शुरूआत हदस के बाद पहली बार मसह करने से होगी

स्प्लिंट (पट्टी) पर मसह

स्प्लिंट (पट्टी) उस चीज़ को कहते हैं जो ज़ख़्म या फ्रेक्चर के कारण वुज़ू के अंगों पर रखी या बाँधी जाती है ताकि उपचार की गति में मदद और दर्द से राहत मिले।

जरूरत पड़ने पर स्प्लिंट (पट्टी) पर गीले हाथों से मसह करना स्वीकार्य (काफ़ी) है, चाहे वह वुज़ू में हो या जनाबत के ग़ुस्ल में हो।

स्प्लिंट (पट्टी) पर कैसे मसह करे?

अंग के बाहरी हिस्से को ज़रूर धोये और अपने गीले हाथों से पट्टी से ढके हिस्से पर मसह करे

स्प्लिंट (पट्टी) पर मसह की अवधि

जब तक उसे इस की आवश्यकता हो वह स्प्लिंट (पट्टी) पर मसह जारी रखेगा, भले ही अवधि लंबी हो। लेकिन जब ज़रूरत ख़त्म हो जाये तो पट्टी हटा कर अंग को धोना ज़रूरी है।

तयम्मुम

अगर कोई मुस्लिम बीमारी के कारण या पानी के अभाव हेतु या पानी है मगर सिर्फ़ पीने भर का है जिस के चलते वुज़ू या ग़ुस्ल में पानी के इस्तेमाल से असमर्थ हो, तो उस के लिए मिट्टी से तयम्मुम करना मशरू (विधि सम्मत) है, यहाँ तक कि उस को पानी उपलब्ध हो जाये और वह उस के इस्तेमाल पर क़ादिर तथा सक्षम हो।

तयम्मुम का तरीक़ा

मुस्लिम अपने दोनों हाथों को मिट्टी पर एक बार मारे

मिट्टी लगे अपने दोनों हाथों को अपने चेहरे पर फेरे

फिर बायें हथेली से दायें हथेली के ऊपरी भाग का मसह करे, और फिर दायें हथेली से बायें हथेली के ऊपरी भाग का मसह करे।

आप ने सफलता के साथ पाठ को पूरा कर लिया


परीक्षा शुरू करें