सीखते रहो

आप ने लॉगिन नहीं किया
अपनी तरक़्क़ी को जारी रखने और प्वाइंट्स जमा करने तथा प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए अभी रजिस्ट्रेशन करें। रजिस्ट्रेशन के बाद जो विषय आप पढ़ेंगे उन पर आप एक इलेक्ट्रॉनिक सर्टीफिकेट प्राप्त करेंगे।

वर्तमान खंड: :मॉडल

पाठ नफ़्ली नमाज़ों के निषिद्ध समय (ममनूअ औक़ात)

चंद औक़ात ऐसे हैं जिन में नफ़्ली नमाज़ें पढ़ने से मना किया गया है। आप इस चैप्टर (अध्याय) में इन औक़ात के संबंध में जानकारी प्राप्त करेंगे।

∙ नफ़्ली नमाज़ों के निषिद्ध समय (ममनूअ औक़ात) की जानकारी।

:एक और छात्र गिनें जिस ने इस पाठ को पूरा किया है

नफ़्ली नमाज़ों के निषिद्ध समय (ममनूअ औक़ात)

एक मुसलमान के लिए हर वक़्त नफ़्ली नमाज़ पढ़ना जायज़ है, लेकिन मुख़्तलिफ़ वुजूहात की बिना पर इस्लाम ने उस को चंद औक़ात में नफ़्ली नमाज़ें पढ़ने से रोका हैः पस उन में से कुछ काफ़िरों की इबादतों का वक़्त है, और कुछ ऐसे हैं जिन में जहन्नम जोश मारता है, और कुछ ऐसे हैं जिन में सूरज शैतान के दो सींगों के दरमियान उदय होता है वग़ैरा वग़ैरा। अतः उन में कोई नमाज़ नहीं पढ़ी जायेगी सिवाय छूटी हुई फ़र्ज़ नमाज़ों की क़ज़ा के या सबब वाली नफ़्ली नमाज़ों के जैसे तहिय्यतुल मस्जिद (मस्जिद की सलामी नमाज़)। और यह बात सिर्फ़ नमाज़ की हद तक महदूद है। रही बात अल्लाह तआला के ज़िक्र व अज़कार और उस से दुआ की तो वह हर वक़्त मशरू हैं।

पहला वक़्त

फ़ज्र की नमाज़ के बाद से सूर्योदय (सूरज तुलू) होने तक और उस के ऊँचाई की ओर थोड़ा सा उठने तक जिस की तहदीद शरीअत ने की है जो कि एक नेज़ा के बराबर है। और मोतदिल ममालिक (समशीतोष्ण देशों) में यह ऊँचाई सूर्योदय के लगभग 20 मिनट बाद होता है।

दूसरा वक़्त

जब सूरज बीच आसमान में हो यहाँ तक कि ढल जाये, जो कि ज़ुह्र का वक़्त शुरू होने से कुछ देर पहले है।

तीसरा वक़्त

अस्र की नमाज़ के बाद से सूरज ग़ुरूब (अस्त) होने तक।

आप ने सफलता के साथ पाठ को पूरा कर लिया


परीक्षा शुरू करें