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पाठ नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की रिसालत
मानवता को रसूलों की आवश्यकता
अल्लाह तआला की हिक्मत का तक़ाज़ा था वह हर उम्मत में कोई डराने वाला भेजे, जो उस के बंदों को उस के नाज़िल कर्दा दीन व हिदायत को स्पष्ट करे, जिस में उन की दुनिया व आख़िरत में उन के हालात की दुरुस्तगी तथा सुधार है। अल्लाह तआला ने फ़रमायाः ﴿وَإِن مِّنْ أُمَّةٍ إِلَّا خَلَا فِيهَا نَذِيرٌ﴾ [فاطر: 24]. “और ऐसी कोई क़ौम नहीं मगर उस में चेतावनी देने वाला आया।”{फ़ातिरः 24}
लोक तथा परलोक (दुनिया और आख़िरत) की सुख-शांति का हुसूल और सफलता की प्राप्ति रसूलों के हाथों ही संभव है। और अच्छे तथा बुरे को विस्तार से जानने का एक मात्र माध्यम वही हैं। और इसी तरह अल्लाह की रिज़ामंदी और स्वीकृति केवल उन ही के ज़रीया से ही प्राप्त की जा सकती है, क्योंकि अच्छे कर्म व कथन और नैतिकता उन के मार्गदर्शन और उन की लाई हुई चीज़ों के अलावा और कुछ नहीं हैं।
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नबी और रसूल (पैग़ंबर और दूत) मानते हुये आप पर ईमान लाना
हमारा ईमान है कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल और उस के बंदे हैं, और आप अगलों तथा पिछलों के सरदार हैं, और आप सारे नबियों के ख़त्म करने वाले (अंतिम दूत) हैं, जिन के बाद कोई नबी आने वाला नहीं। और आप ने रिसालत (संदेश) को पहुँचा दिया, अमानत अदा कर दी, और उम्मत की नसीहत (ख़ैर ख़ाही) की और अल्लाह के लिए कमा हक़्क़हू (यथायथ) जिहाद किया।
अल्लाह तआला ने फ़रमायाः ﴿ مُّحَمَّدٌ رَّسُولُ اللَّهِ ﴾ [الفتح: 29] “मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं।”{अलफ़त्हः 29}
और हम पर वाजिब है कि हम आप की दी हुई ख़ब्रों की तस्दीक़ (पुष्टि और विश्वास) करें, आप के निर्देशों की फरमा बर्दारी तथा आज्ञाओं का पालन करें, जिन से आप ने मना किया तथा रोका है उन से दूर रहें, आप की सुन्नत के अनुसार अल्लाह की इबादत करें, और आप का अनुकरण करें।
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रसूलों और नबियों की मुहर है, अतः आप के बाद कोई नबी आने वाले नहीं है, और आप की रिसालत पिछली आसमानी रिसालतों का निष्कर्ष (खृुलासा) है, और आप का धर्म धर्मों की मुहर है।
अल्लाह तआला ने फ़रमायाः ﴿مَا كَانَ مُحَمَّدٌ أَبَا أَحَدٍ مِنْ رِجَالِكُمْ وَلَكِنْ رَسُولَ اللَّهِ وَخَاتَمَ النَّبِيِّينَ﴾ [الأحزاب: 40]. “मुहम्मद तुम्हारे पुरुषों में से किसी के पिता नहीं हैं, किन्तु वह अल्लाह के रसूल और सब नबीयों में अंतिम हैं।”{अलअहज़ाबः 40}
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु व सल्लम ने फ़रमायाः “मेरी मिसाल तथा नबीयों की मिसाल ऐसी है जैसे किसी ने एक सुंदर भवन बनाया और एक ईंट की जगह छोड़ दी। तो लोग उसे देख कर आश्चर्य करने लगे कि इस में एक ईंट की जगह के सिवा कोई कमी नहीं थी। तो मैं वह ईंट हूँ। मैं ने उस ईंट की जगह भर दी और भवन पूरा हो गया। और मेरे द्वारा नबीयों की कड़ी का अंत कर दिया गया।”{बुखृारीः 3535}
सर्वश्रेष्ठ दूत और सदेंष्टा (सब से अफ़ज़ल नबी और रसूल)
हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सर्वश्रेष्ठ दूत बल्कि सर्वश्रेष्ठ सृष्टि हैं, और अल्लाह के नज़दीक उन में सब से महान मर्यादा के मालिक हैं। अल्लाह तआला ने आप की शान को ऊँची तथा बुलंद फ़रमाया। पस आप उस के पास सब से अधिक सम्मानित और सब से बड़ी प्रतिष्ठा के अधिकारी हैं। अल्लाह तआला ने फ़रमायाः “और अल्लाह ने आप पर किताब और हिकमत उतारी है, और आप को उस का ज्ञान दे दिया है जिसे आप नहीं जानते थे। और यह आप पर अल्लाह की बड़ी दया है।”{अन्निसाः 113} और अल्लाह तआला अपने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को सम्बोधन करते हुये फ़रमायाः “और आप की चर्चा को ऊँचा कर दिया।”{अश्शर्हः 4}
पस आप आदम की संतानों के सरदार हैं। सब से पहले आप की क़ब्र खोली जायेगी। आप पहला सिफ़ारिश करने वाले हैं और सब से पहले आप की सिफ़ारिश क़बूल की जायेगी। और आप के हाथ में क़ियामत के दिन प्रशंसा का बैनर होगा। आप ही सब से पहले पुलसिरात पार करेंगे। जन्नत के दरवाजे पर दस्तक देने वाले पहला शख़्स आप हैं, और उस में प्रवेश करने वाले भी पहला व्यक्ति आप हैं।
अल्लाह तआला ने मुहम्मद सलुललुलाहु अलैहि व सल्लम को समस्त संसार के लिए दया बना कर भेजा है। पस आप की रिसालत जिन्न व इंसान दोनों को शामिल है, और आप की रिसालत तमाम बशर (मनुष्यों) के लिए आम है। अल्लाह तआला ने फ़रमायाः “और हम ने आप को नहीं भेजा है मगर समस्त संसार के लिए दया बना कर।”{अलअम्बियाः 107}
एक दूसरी जगह अल्लाह तआला ने फ़रमायाः “तथा नहीं भेजा है हम ने आप को परन्तु सब मनुष्यों के लिए।”{सबाः 28} और फ़रमायाः “आप कह दें कि ऐ लोगो! मैं तुम सभी की ओर अल्लाह का रसूल हूँ”{अलआराफ़ः 158}
पस अल्लाह तआला ने आप को जहान वालों के लिए रहमत बना कर भेजा ताकि वह उन्हें शिर्क, कुफ़्र और अज्ञानता के अंधेरे से निकाल कर ज्ञान, ईमान और तौहीद की रौशनी की ओर लायें, यहाँ तक कि वे अल्लाह की मग़फ़िरत और उस की रिज़ामंदी प्राप्त कर सकें तथा उस की सज़ा और नाराज़गी से बच सकें।
आप पर ईमान लाना और आप की रिसालत की इत्तिबा करना आवश्यक है
मुहम्मदी रिसालत पिछली रिसालतों को मनसूख़ (निरस्त) करने वाली है, अतः अल्लाह तआला मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इत्तिबा के बग़ैर किसी से कोई दीन क़बूल नहीं करेगा। नीज़ आप के मार्ग के अलावा स्वर्ग के आनंद तक कोई पहुंच भी नहीं पायेगा। पस आप दूतों में सब से आदरणीय हैं। और आप की उम्मत उम्मतों में सब से अफ़ज़ल है। और आप की शरीअत शरीअतों में सब से पूर्ण है।
अल्लाह तआला ने फ़रमायाः “और जो भी इस्लाम के सिवा (किसी और धर्म को) चाहेगा तो उसे उस से कदापि स्वीकार नहीं किया जायेगा और वह आख़िरत में ख़सारा उठाने वालों में होगा।”{आलि इम्रानः 85}
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः"जिस के हाथ में मुहम्मद की आत्मा है, इस उम्मत का कोई भी यहूदी या ईसाई मेरे बारे में नहीं सुनता है, फिर उस पर ईमान लाये बिना मर जाता है जिस के साथ मुझे भेजा गया, सिवाय इस के कि वह जहन्नमीयों में से है।" {मुस्लिमः 153}
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के चमत्कारों में से जो आप की रिसालत पर दलालत करते हैं
अल्लाह तआला ने हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का चमकदार चमत्कारों और दृश्यमान संकेतों के साथ समर्थन किया, जिन में आप की नुबुव्वत व रिसालत की सदाक़त (सच्चाई) की दलालत और गवाही पिनहाँ (पोशीदा) है। और उन चमत्कारों में सेः
सब से महान चमत्कार जो हमारे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को प्रदान किया गया वह है क़ुरआने करीम, जो आत्माओं और दिमागों को संबोधित करता है, और यह एक स्थायी चमत्कार है जो न्याय के दिन तक बाक़ी रहने वाला है। यह किसी तरह की तब्दीली और परिवर्तन का शिकार नहीं हो सकता। यह अपनी भाषा और शैली में चमत्कारी है, अपने विधानों और नियमों में चमत्कारी है, नीज़ अपनी खबरों में भी चमत्कारी है।
अल्लाह तआला ने फ़रमायाः ﴿قُلْ لَئِنِ اجْتَمَعَتِ الْإِنْسُ وَالْجِنُّ عَلَى أَنْ يَأْتُوا بِمِثْلِ هَذَا الْقُرْآنِ لَا يَأْتُونَ بِمِثْلِهِ وَلَوْ كَانَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ ظَهِيرًا﴾ [ الإسراء :88]. “आप कह देंः यदि सब मनुष्य तथा जिन्न इस पर एकत्र हो जायें कि इस क़ुरआन के समान ला देंगे, तो इस के समान नहीं ला सकेंगे, चाहे वह एक दूसरे के समर्थक ही क्यों न हो जायें।”{अलइसराः 88}
अल्लाह तआला ने फ़रमायाः ﴿ اقْتَرَبَتِ السَّاعَةُ وَانْشَقَّ الْقَمَرُ * وَإِنْ يَرَوْا آيَةً يُعْرِضُوا وَيَقُولُوا سِحْرٌ مُسْتَمِرٌّ ﴾ [القمر: 1، 2] “क़रीब आ गई क़ियामत और टुकड़ा हो गया चाँद। और यदि वह देखते हैं कोई निशानी तो मुँह फेर लेते हैं और कहते हैं यह तो जादू है जो होता रहा है।” {अलक़मरः 1-2} और यह चंद्रमा का विभाजन आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़िंदगी में हुआ और क़ुरैश समेत दीगर लोगों ने मुशाहदा किया।
यहाँ तक कि आप के साथ रहने वालों ने उस में से खाया भी और उस में से बचा भी रहा। उन (घटनाओं) में से एक यह है। समुरा बिन जुनदुब रज़ियल्लाहु से रिवायत है, उन्हों ने कहाः इस दौरान कि हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ थे कि अचानक आप के पास सरीद भरा (दलिया युक्त) कटोरा लाया गया। पस आप ने खाया और लोगों ने भी खाया। और सारे लोग लगभग दोपहर तक खा कर फ़ारिग़ होते, फिर दूसरे लोग आते और फिर बारी बारी खाते। {मुसनद अहमदः 20135}
फिर वह आप के सूचना के अनुसार संघटित होता। और आप के सूचना अनुसार बहुत कुछ संघटित हुआ है और आज भी हम उन में से बहुत सारी चीज़ें होते देख रहे हैं।
अनस रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु अह्ले बद्र के संबंध में लोगों को बताने लगे, पस कहाः रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कल हमें अह्ले बद्र के मारे जाने की जगह दिखाते हुये फ़रमा रहे थे किः “अगर अल्लाह ने चाहा तो कल यह फलाने की मृत्यु स्थल होगी।” अनस रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा कि उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहाः क़सम है उस ज़ात की जिस ने आप को हक़ के साथ भेजा वह लोग उन सीमाओं से नहीं चुके जो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुक़र्रर कर दी थीं। {मुस्लिमः 2873}
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अपनी उम्मत पर बहुत से अधिकार हैं, उन में चंद यह हैं:
1- आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत पर ईमान लाना
आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नुबुव्वत व रिसालत पर ईमान लाना और यह अक़ीदा रखना कि आप की रिसालत पिछली तमाम रिसालतों को मनसूख़ (निरस्त) करने वाली है।
2- आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की तसदीक़ करना (सच मानना)
आप की सूचनाओं की तसदीक़ करना, आप की आज्ञा का पालन करना, जिन चीज़ों से आप ने मना फ़रमाया तथा सतर्क किया उन से परहेज करना, और आप की शरीअत के मुताबिक़ (दर्शित दिशा निर्देश अनुसार) ही अल्लाह की इबादत करना। अल्लाह तआला ने फ़रमायाः “रसूल जो तुम्हें दें उसे ले लो और जिस से तुम्हें रोके तुम उस से रुक जाओ।”{अल-हश्रः 7}
3- आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो ले कर आये उसे क़बूल करना
हम पर वाजिब है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जो ले कर आये उसे क़बूल करें, आप की सुन्नत की इत्तिबा करें, और हम आप के तरीक़े को सम्मान व श्रद्धा के स्थान में रखें। जैसा कि अल्लाह तआला ने फ़रमायाः “तेरे रब की क़सम! वह कभी ईमान वाले नहीं हो सकते जब तक अपने आपस के विवाद में आप को निर्णायक (हकम) न बनायें, फिर आप जो फ़ैसला कर दें उस से अपने दिलों में तनिक भी तंगी महसूस न करें और पूर्णतः स्वीकार कर लें।” {अन्निसाः 65}
4. आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आज्ञा का उल्लंघन करने से सावधान रहना
हम पर वाजिब है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आज्ञा का उल्लंघन करने से सावधान रहें। क्योंकि आप के आज्ञा का उल्लंघन करना फ़ितना, भ्रष्टता और दर्दनाक पीड़ा का कारण है। अल्लाह तआला ने फ़रमायाः ﴿فَلْيَحْذَرِ الَّذِينَ يُخَالِفُونَ عَنْ أَمْرِهِ أَنْ تُصِيبَهُمْ فِتْنَةٌ أَوْ يُصِيبَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ ﴾ [النور: 63]. ((जो लोग रसूल के हुक्म की मुख़ालफ़त करते हैं उन्हें डरते रहना चाहिये कि कहीं उन पर कोई बहुत सख़्त फ़ित्ना न आ पड़े या उन्हें कोई दुख की मार न पड़े।)) (अन्नूरः 63)
5. आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की महब्बत को तमाम मानव की महब्बत पर प्राथमिकता देना।
ज़रूरी है कि हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की महब्बत को आत्मा, पिता, बच्चे और बाकी सृष्टि की महब्बत पर प्राथमिकता दें। अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है, उन्हों ने कहाः नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः “तुम में से कोई मुमिन नहीं हो सकता, यहाँ तक कि मैं उस के नज़दीक उस के पिता, उस के बच्चे तथा तमाम लोगों से ज़्यादा महबूब बन जाऊँ।”{बुखृारीः 15} और उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! आप मेरे नज़दीक मेरे आत्मा को छोड़ कर सारी चीज़ों से ज़्यादा महबूब हैं। तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः “नहीं, उस ज़ात की क़सम जिस के हाथ में मेरी जान है, यहाँ तक कि मैं तुम्हारे नज़दीक तुम्हारे आत्मा से भी ज़्यादा महबूब बन जाऊँ।” उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहाः अल्लाह की क़सम! तो अब आप मेरे नज़दीक मेरी जान से भी ज़्यादा प्यारे हैं। तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः “अब ऐ उमर” {बुख़ारीः 6632}
6- इस बात पर ईमान रखना कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रिसालत की ज़िम्मादारी निभा दी
इस बात पर ईमान रखना वाजिब है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने संपूर्ण रिसालत पहुँचा दी, अमानत को अदा कर दिया, उम्मत के लिए ख़ैर ख़ाही की। पस हर भलाई की ओर उम्मत की रहनुमाई फ़रमाई और उस की तरफ़ तरग़ीब दिलाई, तथा उन्हें हर बुराई से मना फ़रमाया और सावधान किया। अल्लाह तआला ने फ़रमायाः “आज मैं ने तुम्हारा धर्म तुम्हारे लिए परिपूर्ण कर दिया है। तथा तुम पर अपना पुरस्कार पूरा कर दिया, और तुम्हारे लिए इस्लाम को धर्म स्वरूप पसंद कर लिया।”{अल-माइदाः 3}
नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबीयों ने आप के पहुँचाने की सब से बड़ी सभा में गवाही दी जिस दिन आप ने उन्हें विदाई हज्ज के दौरान संबोधित किया था। जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः “तुम लोग मेरे बारे में पूछे जाओगे, तो तुम क्या कहने वाले हो? उन्हों ने कहाः हम गवाही देते हैं कि आप ने पहुँचा दिया, अदा कर दिया और ख़ैर ख़ाही की। तो आप ने अपनी तर्जनी (शहादत) उँगली के ज़रीया उसे आसमान की तरफ़ उठाते हुये और लोगों की ओर इशारा करते हुये तीन मरतबा फ़रमायाः “ऐ अल्लाह तू गवाह रह, ऐ अल्लाह तू गवाह रह।”{मुस्लिमः 1218}